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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2646
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

अध्याय - 6

ईस्ट इंडिया कम्पनी का क्षेत्रीय विस्तार - III (1794 - 1827 लार्ड वेलेजली)

[(Territorial Expansion of the East India Company - III (1794-1827 Lord Wellesley)

 

 


प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।

अथवा
लॉर्ड वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लार्ड वेलेजली ने युद्ध द्वारा किन राज्यों का विलय किया? वर्णन कीजिए।
2. लार्ड वेलेजली की सहायक संधि की विवेचना कीजिए।
3. सहायक संधि के गुण-दोषों की समीक्षा कीजिए।
4. साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली का मूल्यांकन कीजिए।

अथवा
'लार्ड वेलेजली एक साम्राज्य निर्माता था। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

लार्ड वेलेजली -  एक साम्राज्य निर्माता

लार्ड वेलेजली एक साम्राज्यवादी था और उसने इसे कभी नहीं छिपाया। जब वह भारत आया तो देशी राज्य अंग्रेजी कम्पनी के विरोधी थे और मित्र राज्य थे भी, जैसे अवध आदि, अत्यन्त अशक्त थे। अतः साम्राज्य के रक्षण व विस्तार के लिए आक्रामक नीति की आवश्यकता थी। हैदराबाद और मैसूर पर फ्रांसीसी प्रभाव भी स्पष्ट दिखने लगा था। कम्पनी को भारत में श्रेष्ठ शक्ति बनाना और फ्राँसीसियों के प्रभाव को सर्वदा के लिए समाप्त करने के उद्देश्य में वह भारत में कार्यरत रहा और उसने एक-एक कर अपने सभी शत्रुओं को परास्त कर अपने लक्ष्य की पूर्ति की। उसके बारे में कहा जाता है कि

"क्लाइव ने भारत में अंग्रेजी राज्य की नींव डाली, वारेन हेस्टिंग्स ने उस नींव को सुदृढ़ किया कार्नवालिस ने उस नींव पर इमारत खड़ी करना आरम्भ किया, लार्ड वेलेजली ने उस इमारत को पूरा किया और बाद के गवर्नर-जनरलों ने उसे अन्तिम शक्ल प्रदान की।"

वेलेजली ने साम्राज्य विस्तार के तीन प्रकार प्रयोग में लाया -

(i) युद्ध द्वारा,
(ii) कुप्रशासन द्वारा
(iii) सहायक सन्धि द्वारा।

(i) युद्ध द्वारा साम्राज्य विस्तार - 1799 में चतुर्थ मैसूर युद्ध हुआ। टीपू सुल्तान पराजित हुआ और युद्ध क्षेत्र में मारा गया। मैसूर राज्य का अधिकांश भाग अंग्रेजी राज्य का हिस्सा बना लिया गया और शेष भाग पर पुराने हिन्दू राजवंश का वारिस शासक बना दिया गया। 1803-05 के मध्य मराठों से अंग्रेजों ने दूसरा युद्ध लड़ा। इसके मूल में मराठा सरदारों का आपसी वैमनस्य था। पेशवा सिंधिया व होल्कर के प्रति सशंकित था और वे भी एक-दूसरे के प्रति सशंकित थे। इन्हीं परिस्थितियों में दिसम्बर, 1802 को पेशवा ने अंग्रेजों से बेसीन की सन्धि की जिसके अनुसार उसने अंग्रेजों की संप्रभुता को स्वीकार कर कम्पनी का संरक्षण और सहायता प्राप्त की. किन्तु शीघ्र ही पेशवा को अपनी स्थिति को लेकर क्षोभ हुआ और युद्ध शुरू हो गया। वेलेजली ने सभी मराठा सरदारों की शक्ति को संयुक्त न होने दिया और सभी को एक-एक कर युद्ध में परास्त किया। उसने प्रत्येक के साथ अलग-अलग सन्धियाँ भी कीं, सभी ने अपनी राजधानी में एक ब्रिटिश रेजीडेण्ट रखना स्वीकार किया। कटक, बालासोर, वार्दा नदी के पश्चिम का भाग, अहमदनगर, भड़ौंच, अजन्ता तथा गोदावरी नदी के मध्य का क्षेत्र, गंगा व यमुना नदी के मध्य का क्षेत्र, जयपुर आदि भू-भाग प्राप्त किए। इन सभी मराठा सरदारों को किसी भी यूरोपीय या अमेरिकी व्यक्ति को नियुक्त करने से पहले अंग्रेजों से अनुमति लेना आवश्यक कर दिया गया।

(ii) कुप्रशासन द्वारा साम्राज्य विस्तार - वेलेजली ने कुछ राज्य कम्पनी के भू-भाग में इसलिए शामिल किए कि वहाँ के शासक सुचारु रूप से शासन नहीं चला पा रहे थे। कर्नाटक राज्य घोर वित्तीय संकट में था। अंग्रेजी कम्पनी के कर्जे की अदायगी नहीं हो पा रही थी। वेलेजली ने कर्नाटक के नवाब पर मैसूर राज्य से सम्बन्ध रखने का आरोप लगाकर गद्दी से हटा दिया। नवाब के पुत्र को वारिस नहीं माना और नवाब के भतीजे से सन्धि कर उसे पेंशन देकर कर्नाटक का विलय कर लिया जिसका उसे कोई कानूनी या नैतिक आधार नहीं था। तंजौर के राज्य में काफी समय से सत्ता संघर्ष चल रहा था। ऐसे में वेलेजली ने 1799 ई० में सरफोजी से सन्धि कर उसे पेंशन देना स्वीकारा और राज्य कम्पनी ने ले लिया। 1800 ई० में वेलेजली ने सूरत के नवाब की मृत्यु के बाद सूरत को कम्पनी में मिलाने के आदेश ' दिए। यह भी अनुचित व गैर कानूनी था किन्तु यह कृत्य भी उसने कम्पनी के हित में किया। फर्रुखाबाद के नवाब के अल्पायु होने के कारण उसे गद्दी से उतार कर कम्पनी में मिला लिया।

(iii) सहायक सन्धि द्वारा साम्राज्य विस्तार - ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साम्राज्य को सुदृढ़ व विस्तारित करने के लिए वेलेजली ने जो नीति अपनाई वह 'सहायक सन्धि नीति' कहलाई, किन्तु इसकी उत्पत्ति वेलेजली ने नहीं की थी। फ्राँसीसी गवर्नर डूप्ले ने सर्वप्रथम इसका प्रयोग किया था। उसने ही भारतीय शासकों को सैन्य सहायता के बदले धन लेने की प्रथा की थी जो सहायक सन्धि कहलाई। अंग्रेजों ने भी इस नीति को स्वीकार किया। इस प्रथा के कई चरण 1765 के बाद सामने आए। सबसे पहले एक राज्य को सैनिक सहायता का सामान्य आश्वासन दिया जाता था (1765 में अवध ) फिर बाद में एक निश्चित धनराशि के बदले में सेना को राज्य की सहायता के लिए दिया जाने लगा ( 1773 में अवध व 1778 में बरार को)। इसके अन्तिम चरण में इसी सैन्य खर्चे के बदले में राज्य का हिस्सा लिया जाने लगा। वेलेजली ने इसे और सुपरिभाषित किया। उसने एक सन्धि द्वारा भारतीय नरेशों से अपने दरबार में ब्रिटिश रेजीडेन्ट रखने, अन्य राज्यों से वैदेशिक सम्बन्ध न रखने, किसी यूरोपीय व अमेरिकी को दरबार में नियुक्त न करने व अंग्रेजों द्वारा किसी अन्य राज्य द्वारा आक्रमण करने पर रक्षा करने का आश्वासन, जैसी शर्तें में थोप दीं। इससे बिना अपने खर्चे के विशाल सेना रखने तथा भारतीय राजदरबारों की प्रत्येक गतिविधि को ध्यान में रखने की सुविधा पाई।

लार्ड वेलेजली के समय में 1800 में हैदराबाद के निजाम से 1801 में अवध के नवाब से, 1802 में पेशवा से और 1803 व 1804 में मराठा सरदारों से सन्धियाँ की गई थीं। ये सभी सहायक सन्धियाँ अंग्रेजों के लिए प्रत्येक प्रकार से लाभदायक थीं तथा भारतीय नरेशों व उनकी प्रजा के लिए प्रत्येक प्रकार से हानिकारक थीं।

सहायक सन्धि से कम्पनी को लाभ

1. अंग्रेजों की फ्राँसीसी प्रभाव से पूरी तरह से मुक्ति मिल गई।

2. भारतीय नरेशों की विदेश नीति अंग्रेजों के हाथों में जाने से अंग्रेजों को भारतीय नरेशों की एकता का भय न रहा।

3. कम्पनी के प्रभाव क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। सहायक सन्धि वाले राज्यों के खर्चे पर रखी गई सेना से सैनिक आधार पर जीती गई भू-भाग की अपेक्षा अधिक बड़े भू-भाग पर राजनीतिक प्रभाव स्थापित हुआ।

4. अब युद्ध क्षेत्र ब्रिटिश राज्य क्षेत्र से बाहर बनने लगा। भारतीय राजाओं के व्यय से रखी गई सेना का प्रयोग उसी राजा के खिलाफ भी किया जाता। बिना व्यय के बड़ी सेना रखना सम्भव हो सका।

5. अंग्रेज जो सहायक सेना भारतीय नरेशों की सहायता के लिए रखते थे उसकी संख्या व व्यय में बढ़ोत्तरी करते रहते थे। इस व्यय के बदले में वे उस नरेश की भूमि प्राप्त करते रहते थे, विरोध करने पर सैन्य कार्यवाही की सम्भावना बनी रहती थी। इस प्रकार भविष्य में भी इस सन्धि द्वारा कम्पनी के राज्य में निरन्तर विस्तार होने की सम्भावना थी।

भारतीय राज्यों को हानि

1 अंग्रेज रेजीडेण्ट के आन्तरिक मामलों में निरन्तर हस्तक्षेप करते 'थे जिससे नरेशों की केवल शक्ति नहीं नष्ट हुई वरन् उनका आत्मविश्वास भी समाप्त हो गया और उन्हें शासन में कोई रुचि न रही।

2. विदेशी आक्रमण, आन्तरिक विद्रोह व राजनैतिक विप्लव के भय के समाप्त हो जाने से भारतीय शासक शासन के प्रति अनिच्छुक हो गए। उसके प्रति वे कतई जिम्मेदार न रहे जिससे कुशासन बढ़ता रहा। इससे प्रजा हताश हुई और अंग्रेजों की आशा बलवती होती गई।

3. अंग्रेज कम्पनी इन राज्यों की रक्षा के लिए रखी गई सेना के बदले में काफी धन की माँग करती थी। बदले में धन के न देने पर कम्पनी राज्य का उपजाऊ भू-भाग ले लेती थी। अधिकांश राज्यों में कुशासन का एक मूल कारण उनकी आर्थिक दुर्बलता बन गयी जो कम्पनी की बदली हुई धन की माँग और उस राजा से छीनी गई सबसे उपजाऊ जमीन के कारण थी।

4. इसने भारतीय नरेशों की राष्ट्रीय भावना शासन के प्रति उत्तरदायित्व, साहस, सैनिक संगठन की देखभाल, आदि सभी कुछ समाप्त कर दिया। मुनरो ने लिखा है, "मित्र राज्यों को राष्ट्रीय चरित्र की स्वतन्त्रता और समस्त सम्मानपूर्ण व्यवहार खोकर ही सुरक्षा प्राप्त हुई थी।"

यह सहायक सन्धि धीरे-धीरे भारतीय नरेशों को अशक्त करती रही। इसके जाल में जो भारतीय नरेश फंसे वे कभी मुक्त न हो सके और यह पूरी तरह निश्चित हो गया कि वे एक दिन निश्चित ही अंग्रेजी कम्पनी के राज्य का हिस्सा बन जाएंगे।

वेलेजली का मूल्याँकन - 1798 में जब वेलेजली भारत आया था तो कम्पनी की शक्ति भारत की राजनीतिक शक्तियों के समूह में से एक थी किन्तु 1805 में उसने कम्पनी की शक्ति को भारत में सर्वश्रेष्ठ बना दिया। फ्राँसीसी भय समाप्त हो गया। मराठों को ऐसी ठोकर लगी कि वे सँभल न सके। टीपू सुल्तान समाप्त हो गया था। निजाम व अवध आश्रित मित्र की भूमिका में थे। मुगल बादशाह का मान-मर्दन हो गया था यद्यपि उसने सर्वोच्च शक्तिमत्ता धारण नहीं की और मुगल बादशाह को बनाए रखा किन्तु अब मुगल सत्ता सिर्फ दिखावा रह गई थी। सिडनी ओवन ने वेलेजली के साम्राज्य निर्माण की नीति के विषय में लिखा है कि, "वेलेजली ने भारत में अंग्रेजी राज्य को अंग्रेजों के भारत के राज्य में परिणत कर दिया।' 1798 की भारत की राजनीतिक परिस्थितियों को उसने बहुत अच्छी तरह से समझा और उसी के आधार पर उसने अपनी सम्पूर्ण योजना बनाई और उसे कार्यरूप में परिणत किया और इसमें तनिक भी सन्देह नहीं कि उसने अपने उद्देश्य में पूर्ण सफलता प्राप्त की। भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ों को दृढ़ करने और उसको विस्तार प्रदान करने वाले साहसिकों में वेलेजली का स्थान प्रमुख है। अवध के नवाब और हैदराबाद के निजाम को बहुत बड़े भू-भाग को अंग्रेजों को देने को उसने विवश किया और कर्नाटक, तंजौर व सूरत अंग्रेजी राज्य का हिस्सा बन गए। जिन भू-प्रदेशों पर वेलेजली ने अधिकार किया वे आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से अत्यन्त महत्वपूर्ण थे। अब मद्रास, बम्बई व बंगाल के सूबे स्थल मार्ग से आपस में एक-दूसरे से जुड़ गए। आगरा, दिल्ली व रुहेलखण्ड के प्राप्त हो जाने से उत्तर भारत में अंग्रेजी कम्पनी की सत्ता स्थापित हो गई। भारत के सभी प्रमुख समुद्री तट व पत्तन कम्पनी की अधीनता में थे। वेलेजली ने कम्पनी का जो विस्तार दिया वह 1798 की तुलना में कई गुना बड़ा था।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
  5. प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
  9. प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
  10. प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
  12. प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
  13. प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
  17. प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
  20. प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
  22. प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
  23. प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
  24. प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  25. प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
  32. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  33. प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  35. प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
  39. प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
  41. प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
  43. प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
  44. प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
  45. प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  46. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  47. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
  50. प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
  54. प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
  55. प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
  56. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
  57. प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
  61. प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
  63. प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  66. प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
  67. प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
  69. प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
  70. प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
  73. प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
  75. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
  83. प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
  85. प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
  88. प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
  90. प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
  94. प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
  95. प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  100. प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
  101. प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
  102. प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
  104. प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
  105. प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  106. प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
  108. प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
  109. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
  110. प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
  111. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
  112. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
  114. प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
  115. प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
  118. प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
  120. प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  121. प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  123. प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  125. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
  126. प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
  127. प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
  128. प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  131. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  133. प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
  134. प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  137. प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  138. प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
  142. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  143. प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
  144. प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
  146. प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
  147. प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?

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